
सामने नज़र आता वो रास्ता अब सुना सा है,
क़दमों के निशान भी मिट चुके;
धूल भी उड़ते परहेज़ करती है,
दरख्तों के दम भी टूट चुके;
वो राह पहले जैसी अब तो नही है,
सड़क किनारे सामान बेचते लोग फ़ना हो चुके;
हवा का दम तो घुट चुका है,
मोटरों के धूवों में साइकिल खो चुके;
हर तरफ़ का रंग अब बदला सा है,
उस राह के सारे मौसम जा चुके;
सुखी डाली आपस में टकरा के आवाज़ करती है,
आवाजों के डर से सारे सूखे पत्ते जल चुके;
आग लगी नही, लगाई गई है,
पानी को रेत अपने में जज्ब कर चुके;
हरियाली अब आखों के बहते आंसू में रहा करती है,
रोशनी के अंधेरों से सब सहम चुके;
फिर भी दिल उस राह को याद करता है,
चाहे जितने अरसे बीत चुके;
तमन्नाओं का ख्वाब अब तक सजा हुआ है;
शायद किस्मत वो दास्तान फ़िर से दोहरा सके
क़दमों के निशान भी मिट चुके;
धूल भी उड़ते परहेज़ करती है,
दरख्तों के दम भी टूट चुके;
वो राह पहले जैसी अब तो नही है,
सड़क किनारे सामान बेचते लोग फ़ना हो चुके;
हवा का दम तो घुट चुका है,
मोटरों के धूवों में साइकिल खो चुके;
हर तरफ़ का रंग अब बदला सा है,
उस राह के सारे मौसम जा चुके;
सुखी डाली आपस में टकरा के आवाज़ करती है,
आवाजों के डर से सारे सूखे पत्ते जल चुके;
आग लगी नही, लगाई गई है,
पानी को रेत अपने में जज्ब कर चुके;
हरियाली अब आखों के बहते आंसू में रहा करती है,
रोशनी के अंधेरों से सब सहम चुके;
फिर भी दिल उस राह को याद करता है,
चाहे जितने अरसे बीत चुके;
तमन्नाओं का ख्वाब अब तक सजा हुआ है;
शायद किस्मत वो दास्तान फ़िर से दोहरा सके
No comments:
Post a Comment